लंबे इंतजार के बाद जेनेरिक दवाएं देने का अधिकार अब फॉर्मासिस्ट्स को मिलने जा रहा है। जल्द ही फॉर्मासिस्ट मरीज को पर्ची पर लिखी ब्रांडेड दवा का जेनेरिक विकल्प दे सकेंगे। हालांकि औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम 1945 के तहत ये अधिकार फिलहाल जनऔषधि केंद्रों को मिलने जा रहे हैं। देश में इस समय करीब पांच हजार से ज्यादा जनऔषधि केंद्र संचालित हैं। इन्हीं केंद्रों के फॉर्मासिस्ट्स को सरकार ब्रांडेड की जगह जेनेरिक दवा मरीज को देने का अधिकार दिया जाएगा। इसके लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन आने वाले दिनों में दिशा-निर्देश भी जारी करने वाला है।
अब ब्रांडेड की जगह मरीज को दे सकेंगे जेनेरिक दवा, जल्द होगा नियम लागू
अभी तक देश में फॉर्मासिस्ट्स को पर्ची पर लिखी दवाओं का विकल्प देने का अधिकार नहीं है। कई बार डॉक्टर द्वारा पर्ची पर महंगी दवाएं ही लिखने का मामला सामने आता है। पिछले वर्ष गुडग़ांव के फोर्टिस अस्पताल में डेंगू पीड़िता बच्ची की मौत के बाद महंगी दवाओं को लेकर राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण (एनपीपीए) ने भी सवाल खड़े किए थे।
बताया जा रहा है कि ड्रग तकनीकी एडवाइजरी बोर्ड की बैठक में फॉर्मासिस्ट्स को जेनेरिक दवाएं देने के अधिकार पर फैसला लेने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सिफारिशें भेजी गई थीं। मंत्रालय की सहमति के बाद अब जल्द ही सभी राज्यों के औषधि नियंत्रण अधिकारियों एवं स्वास्थ्य विभाग को निर्देश जारी किए जाएंगे।
दरअसल अमेरिका के पीट्सबर्ग स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ पीट्सबर्ग मेडिकल सेंटर (यूपीएमसी) में तैनात भारतीय मूल के डॉ. भारत भूषण ने 31 मई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए कहा था कि भले ही डॉक्टर मरीज को पर्ची पर ब्रांडेड दवा लिखता है, लेकिन फॉर्मासिस्ट को ब्रांडेड की जगह जेनेरिक दवाएं देने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने जेनेरिक मेडिसिन वैकल्पिक कानून के बारे में भी जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में फॉर्मासिस्ट्स को ये अधिकार मिले हुए हैं।
इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से ड्रग तकनीकी एडवाइजरी बोर्ड से जानकारी मांगी गई थी, जिसके बाद पीएमओ ने डॉ. भारत भूषण के सुझाव पर विचार करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश भी दिए। इसके बाद अगस्त 2018 में हुई बैठक में इस सुझाव पर चर्चा के बाद नई पहल की सिफारिशें तैयार की गईं।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि फॉर्मासिस्ट्स को ब्रांडेड की जगह जेनेरिक दवा देने पर फैसला लिया है। डीटीएबी ने मंत्रालय को सिफारिशें भेज दी हैं। ये फैसला फिलहाल जनऔषधि केंद्रों के लिए ही लागू होगा। हालांकि अन्य फॉर्मासिस्ट्स को लेकर पूछे सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में विस्तृत चर्चा की जरूरत है। उन्होंने बताया कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी सभी डॉक्टरों को पर्ची पर सॉल्ट नाम ही लिखने के निर्देश दे चुका है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इस नए बदलाव कोलेकर सभी राज्यों को दिशा निर्देश दिए जाएंगे।
बॉक्स : ई सिगरेट के निर्माण, बिक्री पर रोक
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने ई सिगरेट के निर्माण, बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगाने के लिए सभी राज्य औषधि नियंत्रण अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा फ्लेवर हुक्का की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। बताया जा रहा है कि इलेक्ट्रोनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम के तहत ई सिगरेट, हुक्का, ई सीसा इत्यादि उत्पादों को प्रतिबंध के दायरे में लाया गया है। इससे पहले पिछले वर्ष अगस्त में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सभी राज्यों को ई सिगरेट जैसे उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाने के लिए दिशा निर्देश दे चुका है। बावजूद इसके दिल्ली जैसे शहरों में ये उत्पाद अभी भी मार्केट में बिक रहे हैं।
1 news reference amar ujala 14/03/2019