ओडिशा के तटीय जिलो में शुक्रवार को फैनी तूफान ने अपना कहर बरपाया लेकिन भारतीय मौसम विभाग की चेतावनी प्रणाली में आए सुधार की वजह से लाखों लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया। केंद्र-राज्य के बीच बेहतर समन्वय और भारी मात्रा में एनडीआरएफ की तैनाती ने मृतकों की संख्या को काफी सीमित कर दिया।
फैनी: 20 साल की सावधानी, तीन महीने की तैयारी और नई तकनीक ने रोकी तबाही
पुरी में कच्चे घरों को काफी नुकसान पहुंचा है। 160 लोगों को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया है। एसपी और डीएम के आवास को बुरी तरह क्षति पहुंची है और बिजली आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित रही। हालांकि मौसम विभाग के नए क्षेत्रीय तूफान मॉडल (रीजनल हरिकेन मॉडल) जो भारत की चक्रवातों में जीरो कैजुएलिटी (हादसा शून्य) का हिस्सा है उसकी मदद से हजारों लोगों की जान बचाने में मदद मिली।
इसने दिखाया है कि कैसे 1999 से अब सटीक ट्रैकिंग और पूर्वानुमान लगाने की दिशा में प्रगति हुई है। 1999 में आए सुपर साइक्लोन ने 10,000 लोगों की जान ली थी। हजारों लोगों को बेघर कर दिया था और हजारों स्कवायर फीट में तबाही का मंजर देखने को मिला था।
तीन महीने पहले शुरू हो गई थी तैयारी
20 साल की तैयारी
ओडिशा में संपत्ति का नुकसान तो हुआ पर लोगों पर इसका असर नहीं हुआ। इसकी बड़ी वजह थी ओडिशा सरकार की पहले से तैयारी। ओडिशा के स्पेशल रिलीफ कमिश्नर विष्णु पद सेठी ने बताया कि 1999 में रेड क्रॉस के 23 साइक्लोन शेल्टर थे जिनमें 42 हजार लोगों को आश्रय मिला था। उससे हमें साइक्लोन शेल्टर निर्मित करने की प्रेरणा मिली। यह ध्यान रखा गया कि गांववालों को शेल्टर तक पहुंचने के लिए सवा दो किमी से ज्यादा न चलना पड़े। आज राज्य में 879 मल्टीपरपज साइक्लोन शेल्टर हैं। ये शेल्टर गोल खंभों पर खड़े हैं। भूतल खाली रहता है ताकि तेज हवा आसानी से निकल जाए और खंभे जमीन के नीचे भी 40 फीट तक गहरे होते हैं। यह भवन 300 किमी प्रति घंटे की हवा झेल सकता है।