कैप्टन अमरिंदर सिंह और आशा कुमारी के तेवर आक्रामक बने हुए हैं। ऐसे में अब नवजोत सिद्धू का राजनीतिक भविष्य कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर टिका हुआ है। देश भर में कांग्रेस के पक्ष में 100 से अधिक चुनावी रैलियां करने वाले पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत को पंजाबियों ने पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया।
कैप्टन के तेवर आक्रामक, कांग्रेस हाईकमान के फैसले पर टिका नवजोत सिद्धू का राजीतिक भविष्य
बेशक सिद्धू की पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू दावा करें कि बठिंडा में सिद्धू के प्रचार के कारण ही हार का मार्जिन कम हुआ। लेकिन गुरदासपुर में उपचुनाव में एक लाख 93 हजार मतों से जीतने वाले प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ सिद्धू भारी मतों से क्यों हारे, इसका जवाब सिद्धू दंपति के पास नहीं है।
सिद्धू ने मध्यप्रदेश के भोपाल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की चुनावी रैली में लोगों को ऐसा छक्का मारने की अपील की थी, जिससे मोदी सीमा पार जाकर गिरे। मोदी जब भोपाल में साध्वी प्रज्ञा के लिए चुनाव प्रचार में गए थे तो सिद्धू के इस भाषण का उल्लेख भी किया था, लेकिन इस सीट से दिग्विजय हार गए।
सिद्धू ने हरियाणा, गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश सहित महाराष्ट्र में कई जनसभाएं की, वहां-वहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान पवित्र अजान के बीच सिद्धू द्वारा धार्मिक नारे लगाने का मामला श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा हुआ है।